जो उसकी जिंदगी में..जिंदगी के साथ साथ उम्मीद की किरण बनकर आया था l जो उसकी जिंदगी में..जिंदगी के साथ साथ उम्मीद की किरण बनकर आया था l
मुकुल भी जवान बेटे को मौत से टूट गया था किंतु सुलेखा की हालत उससे देखी नहीं जाती थी। मुकुल भी जवान बेटे को मौत से टूट गया था किंतु सुलेखा की हालत उससे देखी नहीं जाती...
हम आज भी दोस्त हैं पर एक सवाल हैं क्या यही प्यार है ? हम आज भी दोस्त हैं पर एक सवाल हैं क्या यही प्यार है ?
आशा है आप को मेरी यह आत्मकथा अच्छी लगी होगी....... आशा है आप को मेरी यह आत्मकथा अच्छी लगी होगी.......
लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
अगर इतना वक्त इन कहानियों के साथ बिता पाए तो ही ऐसा हो पाता है। अगर इतना वक्त इन कहानियों के साथ बिता पाए तो ही ऐसा हो पाता है।